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19 May 2024 · 1 min read

लड़की को लड़ना होगा

लड़की को लड़ना होगा
लड़कर आगे बढ़ना होगा
आए ‘कसम’ लेने के दिन
हर लड़की को कहना होगा।

बीते दिन, जब रोती थी
दूध – कटोरी पाने को
जो मिला है भैया को
पाने को मचलना होगा
खाने की स्पर्धा से ही
काम तुम्हारा नहीं चलेगा
भैया के पहले पापा को
अपना सबक सुनना होगा
विद्यालय का सबक भी पूरा कर
गुरु जी दिखाना होगा
भैया का कहना भी
तुम्हें सहर्ष मानना होगा
मम्मी थक गई है
घर के कामों में हाथ बटाना होगा।

तुम पिछड़ी हो, लेकिन क्यों?
पुरुष बढ़ा है, लेकिन क्यों?
तुम आगे नहीं बढ़ोगी, तो बढ़ेगा कोई तो
मातृ – सत्ता ही थी पहले तो
कुछ बोलो तो?
ना- समझ रहकर ही
लड़की से औरत हो जाना है
बंध जाना है, रुक जाना है
घर के अंदर ही रहना है
तुम्हें अपना सौभाग्य वापस लाना है ।

न समझो स्वयं को अकेली
पुरुष भी हैं साथ तुम्हारे
क्यों कि उन्हें भी अपना घर अच्छा बसाना है।
तुम्हें भी अच्छे घर में जाना है
पुरुष और स्त्री को तो साथ निभाना है
तुम्हें भी अपना सौभाग्य पाना है
लड़ने का प्राय यह नहीं कि
लड़ते ही रहना है
लड़ने का मतलब है
संतोष और सुख पाना है।
योग्यता बढ़ाने से ही
असंतोष नहीं होना है।

लड़की को लड़ना होगा
लड़कर आगे बढ़ना होगा
आए ‘कसम’ लेने के दिन
समर्थ और सशक्त बनना होगा।
******†*******************
स्वरचित: घनश्याम पोद्दार, मुंगेर

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