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10 May 2024 · 1 min read

अच्छी नहीं

दरिया में इतनी खामोशी अच्छी नहीं,
तेरी आँखों में ये उदासी अच्छी नहीं।

अब ज़रा सा मुस्कुरा भी दे ए सनम,
दिल को इतनी बेक़रारी अच्छी नहीं।

धूल सारी आइने से अब दो मिटा,
गम की इतनी मेज़बानी अच्छी नहीं।

रूठ जाने के तरीके थे और भी,
बज़्म में यह बे-हुज़ूरी अच्छी नहीं।

क्यों लगा बैठे हो सीने से मौत को,
जिंदगी से बेवफ़ाई अच्छी नहीं ।।

© अभिषेक पाण्डेय अभि

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