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8 May 2024 · 1 min read

बड़े नहीं फिर भी बड़े हैं ।

बड़े नहीं फिर भी बड़े हैं
इसलिए कि लोग
जहाँ गिर पड़े हैं
हम वहाँ तने खड़े हैं,
द्वंद्व की लड़ाई भी
साहस से लड़े हैं;
न दुख से डरे,
न सुख से मरे हैं;
काल की मार में
जहाँ दूसरे झरे हैं,
हम वहीं अब भी
हरे-के-हरे हैं।

© अभिषेक पाण्डेय अभि

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