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5 May 2024 · 1 min read

कागज़ की नाव सी, न हो जिन्दगी तेरी

कागज़ की नाव सी ,न हो जिन्दगी तेरी
मांझी की पतवार सी , हो जिन्दगी तेरी

बंज़र ज़मीं सी ,न हो जिन्दगी तेरी
फूलों की खुशबू की मानिंद ,हो जिन्दगी तेरी

ज़मीं पर यूं ही ,न रहें कदम तेरे
आसमां को छूती ,जिन्दगी हो तेरी

विचारों पर तेरे पाश्चात्य का ,प्रभाव न पड़े
संस्कृति , संस्कारों से, पल्लवित हो जिन्दगी तेरी

किस्सा न हो जाएँ ,सभी प्रयास तेरे
आदर्श मार्ग निर्मित ,हो जिन्दगी तेरी

यूं ही न बीत जाए, जिन्दगी तेरी
दूर सीमा पर देश की ढाल, हो जिन्दगी तेरी

यूं ही सिसक- सिसक कर ,न बीते जिन्दगी तेरी
औरों के ग़मों को ढोती ,हो जिन्दगी तेरी

कागज़ की नाव सी ,न हो जिन्दगी तेरी
मांझी की पतवार सी ,न हो जिन्दगी तेरी

कागज़ की नाव सी ,न हो जिन्दगी तेरी
मांझी की पतवार सी , हो जिन्दगी तेरी

बंज़र ज़मीं सी ,न हो जिन्दगी तेरी
फूलों की खुशबू की मानिंद ,हो जिन्दगी तेरी

अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम”

Language: Hindi
1 Like · 88 Views
Books from अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
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