Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
1 May 2024 · 2 min read

संवाद

मिली ये जिंदगी है तो
हरदम खुश दिल रहो।
सबसे हिलमिल रहो।
सबकी सुनो और अपनी भी कहो।।
खुश रहोगे तो खुशियाँ बढ़ेंगी।
गमजदा रहोगे तो बढ़ेंगे और भी गम।
बताओ कैसे होंगे गम ये कम।।
सुनो बताते हैं हम।।।
कोई सुख-दुख हो तो
घर परिवार मित्रों से साझा करो।
बात दिल की कहने से मत डरो।
बात करो, संवाद करो।
मगर झगड़ा फसाद मत करो।
संवाद से मिलता समाधान है।
संवाद से मानव की शान है।।
मिटते मतभेद हैं।
घुप-चुप रहने से बढ़ जाते जो।
मनभेद हैं।।
अगर न हो आपस में संवाद।
होने लगता है अवसाद।।
पनपने लगते विषाद।।
बढ़कर बनते झगड़ा फसाद।।
बढ़ जातीं जो दूरियाँ।
न रहें मजबूरियाँ।।
आओ।
आपसी बात चीत से नजदीकियां बढ़ाओ।
झगड़ा फसाद नहीं ।
संवाद बढ़ाओ।
मूक रहने से दर्द और गम बढ़ता है।
धीरे धीरे सर पर चढ़ता है।।
जब कुछ कहोगे।
तभी तो लोग सुनेंगे, समझेंगे।
समाधान भी निकालेंगे।
सोचते क्यों हो ये
केवल मेरी अपनी समस्या है।
किसी से क्या कहना।
बात मन में ही रखना।।
वो क्या जानेंगे।
समझेंगे क्या मेरी समस्या।
उनने कौन सी की है तपस्या।।
कैसे करेंगे समाधान।
तो सुनो श्रीमान।।
ये दुख और दर्द।
उतार और चढ़ाव।
सभी की जिंदगी में आते हैं।
एक नहीं
बार-बार आते और जाते हैं।
किसी को पहले तो किसी को
बाद में सताते हैं।।
कुछ न कुछ सबका अनुभव है।
और अनुभव ने बताया है
करो संघर्ष।
सदा सहर्ष।।
कभी हो जाता अनजाने में ही मनमुटाव।
मूक रहने से और भी बढ़ जाता तनाव।।
अत: संवाद करते रहो।
हँसाते हँसाते रहो।
सदा मुस्कुराते रहो।।
आपसी मनमुटाव मिटाते रहो।
एक दूसरे की खुशियाँ बढ़ाते रहो।।
कर के याद।
करते रहो सब मिल
आपस में संवाद।।
===========
कौशलेंद्र सिंह लोधी ‘कौशल’

Language: Hindi
2 Likes · 141 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Kaushlendra Singh Lodhi Kaushal (कौशलेंद्र सिंह)
View all

You may also like these posts

अंतहीन प्रश्न
अंतहीन प्रश्न
Shyam Sundar Subramanian
Thinking
Thinking
Neeraj Kumar Agarwal
कौशल कविता का - कविता
कौशल कविता का - कविता
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
भगवान, भगवान ना रहा, अब वो मंदिर में बैठा, खिलौना बन गया है,
भगवान, भगवान ना रहा, अब वो मंदिर में बैठा, खिलौना बन गया है,
पूर्वार्थ देव
ना होंगे परस्त हौसले मेरे,
ना होंगे परस्त हौसले मेरे,
Sunil Maheshwari
संवेदना मनुष्यता की जान है।
संवेदना मनुष्यता की जान है।
Krishna Manshi (Manju Lata Mersa)
प्रेमिका को उपालंभ
प्रेमिका को उपालंभ
Praveen Bhardwaj
उम्र घटने लगी
उम्र घटने लगी
Nitesh Shah
विदाई समारोह
विदाई समारोह
Rj Anand Prajapati
गुरु...! गूगल दोनों खड़े, काके लागूं पाय....!
गुरु...! गूगल दोनों खड़े, काके लागूं पाय....!
VEDANTA PATEL
क्षितिज के उस पार
क्षितिज के उस पार
Suryakant Dwivedi
रमेशराज के विरोधरस के गीत
रमेशराज के विरोधरस के गीत
कवि रमेशराज
फर्क
फर्क
Shailendra Aseem
अच्छा लगता है
अच्छा लगता है
Jyoti Roshni
भ्रूण हत्या:अब याचना नहीं रण होगा....
भ्रूण हत्या:अब याचना नहीं रण होगा....
पं अंजू पांडेय अश्रु
मुझे उस पार उतर जाने की जल्दी ही कुछ ऐसी थी
मुझे उस पार उतर जाने की जल्दी ही कुछ ऐसी थी
शेखर सिंह
जिंदगी के रंग
जिंदगी के रंग
Kirtika Namdev
🙅एक शोध🙅
🙅एक शोध🙅
*प्रणय प्रभात*
पूजा
पूजा
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
4324.💐 *पूर्णिका* 💐
4324.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
गर मनपसंद साथ ना मिले तो तन्हाई रास आ ही जाती है।
गर मनपसंद साथ ना मिले तो तन्हाई रास आ ही जाती है।
Shikha Mishra
*स्पंदन को वंदन*
*स्पंदन को वंदन*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
सच्चा मित्र है पर्यावरण
सच्चा मित्र है पर्यावरण
Buddha Prakash
क्यों शोक तू मना रहा है, ऐसे उसके लिए
क्यों शोक तू मना रहा है, ऐसे उसके लिए
gurudeenverma198
*लोकतंत्र जिंदाबाद*
*लोकतंत्र जिंदाबाद*
Ghanshyam Poddar
उसे लगता है कि
उसे लगता है कि
Keshav kishor Kumar
सपनों की सच्चाई
सपनों की सच्चाई
श्रीहर्ष आचार्य
23. गुनाह
23. गुनाह
Rajeev Dutta
Beginning of the end
Beginning of the end
Bidyadhar Mantry
माहिया - डी के निवातिया
माहिया - डी के निवातिया
डी. के. निवातिया
Loading...