सिकन्दर बन कर क्या करना

सिकन्दर बन कर क्या करना
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मुहब्बत में हारता जो,
फतह करता वही अक्सर।
कभी तलवार के बूते,
सिकन्दर न बना कोई।
सही मायने सिकन्दर वो
दिलों पर राज करता जो।
सिकन्दर वो नहीं असली,
दफन है जो जमीन अंदर।
महिवाल मजनूं जिंदा हैं,
फरहाद अब तक है जिंदा।
निशानी तक नहीं उसकी,
सिकन्दर जिसको कहते हैं।
मुहब्बत कर फकीरों से,
रूहानी प्यार देगा वो।
शाम को उठकर चल देना,
सिकन्दर बन कर क्या करना।