रखी हुई है अनमोल निशानी, इक सुन्दर दुनिया की,
"रचना अतिथि होती है। जो तिथि व समय बता कर नहीं आती। कभी भी,
वादों की रस्सी में तनाव आ गया है
हे आदिशक्ति, हे देव माता, तुम्हीं से जग है जगत तुम्ही हो।।
*भारत माता के लिए , अनगिन हुए शहीद* (कुंडलिया)
किसी भी देश या राज्य के मुख्या को सदैव जनहितकारी और जनकल्याण
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
खिड़की के बंद होने से पूर्व-----
*अयोध्या के कण-कण में राम*
जिंदगी मैं हूं, मुझ पर यकीं मत करो
संविधान के पहरेदार कहां हैं?
मांनखौ
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
कहमुकरियाँ हिन्दी महीनों पर...