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28 Apr 2024 · 1 min read

हर एक हृदय से

हर एक हृदय से
अपने लिए
हम कटु शब्द ही पाते हैं
सब नाते ही छल जाते हैं
सब रिश्ते ही ठुकराते हैं
अपनापा
क्या जाने
वो जिसने
स्वार्थ हेतु संबंध किया
आपस में केवल लेने और देने
का ही अनुबंध किया
सब अपने ही कहलाते हैं
जो इस मन को छल जाते हैं ✍️

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