खूब तेवर हैं , खानदानी में

🌹 गज़ल 🌹
1,,,
खूब तेवर हैं , खानदानी में ,
लब-ओ-लहजा भी है, दिवानी में ।
2,,,
शायराना मिज़ाज , की मालिक ,
दर्द सह कर , हँसी जवानी में ।
3,,,
खुद ही अपने, इलाज से ज़िन्दा,
गुण भरे थे , बहुत सयानी में ।
4,,,
खौफ़ से , थरथरा गया सुनकर,
दहशतें थी , अजब कहानी में ।
5,,,
बात कह कर, मुकर गया फिर से ,
क्या भरोसा , किया था बानी में ।
6,,,
डूबती ज़िन्दगी , बचाने को ,
‘नील’ उतरी है , सर्द पानी में ।
✍🏻नील रूहानी,
( नीलोफ़र खान )