Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
25 Apr 2024 · 2 min read

मुझसे मेरी पहचान न छीनों…

मुझसे मेरी पहचान ना छीनों…

मेरा भी अस्तित्व है अपना
मुझसे मेरी जान ना छीनो,
किसने दिया अधिकार ये तुमको
मुझसे मेरी पहचान ना छीनों
जिस घर में मैंने जनम लिया
जिस आंगन में मैं खेली थी,
जिन सखियों से बतियाती थी
जो गुड्डे गुड़िया मेरी सहेली थीं।
वो बाबुल का घर छूट गया
पनघट नदियाँ भी छूट गईं,
क्या और गुहार लगाऊं तुमसे
मुझसे मेरी पहचान ना छीनो l

पिया के घर पहुंची जैसी ही
वैसे ही सब कुछ बदल गया,
मेरी अपनी पहचान का सूचक
नाम तक मेरा बदल गया।
ये भी कैसी रस्म है बोलो
कैसा ये रिवाज़ है बनाया,
बाबुल का दिया नाम तो छोड़ो
उपनाम भी मेरा बदल दिया।
समाज के इन ठेकेदारों को
किसने ये अधिकार ये दिया,
घर आंगन सब कुछ छीन चुके हो
मुझसे मेरी पहचान ना छीनो।

ज्यों ही मैं निकली जब घर से
तरह तरह के बंधन हैं डाले,
मिलने जुलने पर भी मेरे
कैसे कैसे प्रतिबंध जड़ डाले।
तनख्वाह मेरी लगती है अच्छी
मेरा काम करना भी भाता है
फिर क्यूं झूठे अहम के खातिर
नसीहतों के पहाड़ हैं डाले।
थोड़ी देर जो हो घर आने में
सबकी आंखें सिकुड़ जाती हैं
कम से कम तुम तो समझो
मुझसे मेरी पहचान ना छीनो।

इस दो तरह के बर्ताव ने सबके
मन मेरा घायल कर डाला है,
क्या मेरा वजूद नहीं है कुछ भी
अस्तित्व भी नगण्य कर डाला है।
तभी तो मिल कर के तुम सब
मुझे मुझसे ही दूर कर रहे हो,
अपनी झूठी शान की खातिर
कोमल मन को कुचल रहे हो।
कब तक इस दुनिया में बोलो
वजूद मेरा नकारा जाएगा,
मुझको भी जीने दो खुलकर
मुझसे मेरी पहचान ना छीनों।

मुझसे मेरी पहचान ना छीनों।

इंजी संजय श्रीवास्तव
बालाघाट ( मध्यप्रदेश)
9425822488

107 Views
Books from इंजी. संजय श्रीवास्तव
View all

You may also like these posts

We Would Be Connected Actually
We Would Be Connected Actually
Manisha Manjari
बुरा न मानो, होली है! जोगीरा सा रा रा रा रा....
बुरा न मानो, होली है! जोगीरा सा रा रा रा रा....
सत्यम प्रकाश 'ऋतुपर्ण'
हे राम तुम्हीं कण कण में हो।
हे राम तुम्हीं कण कण में हो।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
*सागर में ही है सदा , आता भीषण ज्वार (कुंडलिया)*
*सागर में ही है सदा , आता भीषण ज्वार (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
कुछ बीते हुए पल -बीते हुए लोग जब कुछ बीती बातें
कुछ बीते हुए पल -बीते हुए लोग जब कुछ बीती बातें
Atul "Krishn"
"बात हीरो की"
Dr. Kishan tandon kranti
दिखावे की
दिखावे की
Vishal Prajapati
यदि हमें शांति के पथ पर चलना है फिर हमें अस्तित्व से जुड़ना
यदि हमें शांति के पथ पर चलना है फिर हमें अस्तित्व से जुड़ना
Ravikesh Jha
****** धनतेरस लक्ष्मी का उपहार ******
****** धनतेरस लक्ष्मी का उपहार ******
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
सब कुछ छोड़ कर जाना पड़ा अकेले में
सब कुछ छोड़ कर जाना पड़ा अकेले में
डॉ. दीपक बवेजा
मुझे नहीं पसंद किसी की जीहुजूरी
मुझे नहीं पसंद किसी की जीहुजूरी
ruby kumari
Farmer
Farmer
Iamalpu9492
प्यार में, हर दर्द मिट जाता है
प्यार में, हर दर्द मिट जाता है
Dhananjay Kumar
■ प्रणय_गीत:-
■ प्रणय_गीत:-
*प्रणय*
कितना कुछ
कितना कुछ
Surinder blackpen
सत्य की खोज
सत्य की खोज
लक्ष्मी सिंह
“ख़ामोश सा मेरे मन का शहर,
“ख़ामोश सा मेरे मन का शहर,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
मन की बुलंद
मन की बुलंद
Anamika Tiwari 'annpurna '
रंग तिरंगे के छाएं
रंग तिरंगे के छाएं
श्रीकृष्ण शुक्ल
मैं नारी हूं, स्पर्श जानती हूं मैं
मैं नारी हूं, स्पर्श जानती हूं मैं
Pramila sultan
बगुलों को भी मिल रहा,
बगुलों को भी मिल रहा,
sushil sarna
Tryst
Tryst
Chaahat
ग़ज़ल
ग़ज़ल
आर.एस. 'प्रीतम'
यादों पर एक नज्म लिखेंगें
यादों पर एक नज्म लिखेंगें
Shweta Soni
मंद बुद्धि इंसान
मंद बुद्धि इंसान
RAMESH SHARMA
सपनों का घर
सपनों का घर
Vibha Jain
ফুলডুংরি পাহাড় ভ্রমণ
ফুলডুংরি পাহাড় ভ্রমণ
Arghyadeep Chakraborty
मुझे नहीं मिला
मुझे नहीं मिला
Ranjeet kumar patre
4419.*पूर्णिका*
4419.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
बबूल
बबूल
डॉ. शिव लहरी
Loading...