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4 Mar 2024 · 1 min read

सर्दी के हैं ये कुछ महीने

सर्दी के हैं ये कुछ महीने
कस्तूरी की खुश्बू , मेरे साथ होती है
पूछते हैं कुछ लोग, कुछ अटकलों में
रहते हैं उलझे- उलझे

उन्हें क्या पता है वो ना हो के भी
मेरे पास होती है मेरे साथ होती हैं

सर्दियां जब भी शुरू होती हैं
इंतज़ार के वो कुछ महीने
गर्मी का अभिशाप तोड़ कर
बंद पड़ी बक्से से बाहर निकल
वो ऊनी मफलर
झट से गले से लिपट जाती है

………. अतुल “कृष्ण”

1 Like · 249 Views
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