पुरानी वैमनस्यता को भूलकर,
Tuning fork's vibration is a perfect monotone right?
सोचो तो बहुत कुछ है मौजूद, और कुछ है भी नहीं
घृणा प्रेम की अनुपस्थिति है, क्रोध करुणा और जागरूकता का अनुप
समय की प्यारे बात निराली ।
चित्र कितना भी ख़ूबसूरत क्यों ना हो खुशबू तो किरदार में है।।
वो ज़माना कुछ और था जब तस्वीरों में लोग सुंदर नही थे।
तुम्हारी चाहतें
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
आज के बच्चों की बदलती दुनिया
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
*ठाकुरद्वारा मंदिर/पंडित मुनीश्वर दत्त मंदिर में दर्शनों का
ये क्या किया जो दिल को खिलौना बना दिया
योजनानां सहस्रं तु शनैर्गच्छेत् पिपीलिका
अगर मन वचन और कर्मों में मर्यादा न हो तो