बुला रहा है मुझे रोज़ आसमा से कौन
परीक्षाओं में असफल हुए पुरुष
स्वामी श्रद्धानंद का हत्यारा, गांधीजी को प्यारा
मुझसे बेज़ार ना करो खुद को
यूं सजदे में सर झुका गई तमन्नाएं उसकी,
अच्छाई बाहर नहीं अन्दर ढूंढो, सुन्दरता कपड़ों में नहीं व्यवह
भटकती रही संतान सामाजिक मूल्यों से,
पाक दामन मैंने महबूब का थामा है जब से।
Wakt hi wakt ko batt raha,
ए चांद कुछ तो विषेश है तुझमें
Thought
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'