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31 Mar 2024 · 1 min read

*** आप भी मुस्कुराइए ***

*** आप भी मुस्कुराइए ***
———————————-
*
मुझे
देखकर
एक फूल
मुस्कुराने लगा
मेरी बदहाली पर
तरस खाने लगा
मुझसे पूछा कि क्यों उदास हो

*
मैंने
कहा लोग
मुझे देखकर
ईर्ष्या से भर जाते हैं
मेरी ग़रीबी का उपहास उड़ाते हैं
मेरे जज़्बातों से खेल जाते हैं

*
मेरी
मासूमियत
मेरे भोलेपन
का फायदा उठाते हैं
कोई मुझे पसंद नहीं करता है

*
एक
तुम हो,
लोग तुम्हें देखते ही
तुम्हारी तरफ खिंचे चले जाते हैं
उनके चेहरे खिल जाते हैं
मुस्कुराने लगते हैं, खुशियों से भर जाते हैं

*
फूल
ने कहा
लोग फूलों को नहीं
फूलों के सुगंध को
सुगंध बिखेरने के अंदाज
व फूलों के कलर को पसंद करते हैं

*
आप
भी अपने
जीवन को
कलर फुल बनाइए
फिज़ा को मह-मह महकाइए
मिलने के अंदाज से दिलों में जगह बनाईए
और “चुन्नू” मेरी तरह आप भी मुस्कुराइए
•••••••• एक फूल •••••••••

/••• क़लमकार •••/
चुन्नू लाल गुप्ता – मऊ ( उ.प्र.)

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