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23 Mar 2024 · 1 min read

“बेहतर है चुप रहें”

“बेहतर है चुप रहें”
गुलशन में फूलों से ज्यादा
विषधरों के पहरे हैं
रंगों के शौकीन लोग
हर राहों पर ठहरे हैं
प्रजा है बस ईश भरोसे
राजा ही उसे लूट रहे,
नीयत ठीक नहीं है
बेहतर है चुप रहें।

4 Likes · 3 Comments · 229 Views
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