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7 Apr 2022 · 1 min read

एक शायर का दिल …

एक शायर का दिल क्या चाहता है ?
बस सुकून के दो पल और कुछ नही ।

वोह पल ऐसे हो जिसमें हो तन्हाई,
एक उसके सिवा पास कोई नहीं।

एक पल जिसमें करे खुद से बातें ,
हर सू खामोशी ,आवाज कोई नही ।

ऐसे में साथ हो केवल कलम का ,
और खलल कोई उसे गवारा नहीं ।

लाखों रंग के यह इंसानी जज़्बात ,
तस्वीर बनकर उभरे जब तक नही ।

उस शायर को मिलेगा करार कहां !,
जब तक मिलेगा लफ्जों का साथ नहीं।

मिले बेहतरीन लफ्ज़ तो कुछ बात बने,
बिना सही तुकबंदी के मजा आयेगा नही ।

शायरी वोह जो किसी के दिल को छुए,
मगर इस जहां में तो दिलवाला ही नही ।

फुर्सत नही किसी को पास बैठने की भी ,
वोह गौर क्या करेगा जब सुनेगा नही ।

अलबत्ता उसे झूठी तारीफ नापसंद है ,
मगर सच्ची तारीफ यहां होती ही नहीं ।

जाने कितने अरमान शायर के दिल में,
मगर मुकम्मल होते एक भी नही ।

एक शायर का दिल क्या चाहता है ?
गनीमत है खुदा ही सुन ले या नही !

यह जहां है पत्थर दिलों का “ए अनु”,
एक शायर दिल की यहां कद्र ही नही ।

2 Likes · 2 Comments · 256 Views
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