Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
23 Feb 2024 · 1 min read

इंसान को इंसान ही रहने दो

इंसान को इंसान
ही रहने दो
उसको देवता न बनाओ
बनाया देवता तो वह
दूर चला जायेगा

इंसान रहा तो कभी न कभी
पास आ जायेगा
वैसे भी तुमने
उसे इंसान कब रहने दिया
चाँदी की कुर्सी पर बैठा
हमारा कब रहने दिया

अरे
तुमने तो…स्वार्थों की थाली में
नोट बिछाकर भगवान को भी
भगवान न रहने दिया।
थोड़ी सी उपलब्धि पर
पूजो मत किसी को..
गुमान में सिर ऊंचा हो जाएगा

आज तुम्हारे संग है
कल बेवफ़ा हो जाएगा।
सूर्यकांत

Language: Hindi
1 Like · 136 Views
Books from Suryakant Dwivedi
View all

You may also like these posts

हमने भी तुझे दिल से निकाल दिया
हमने भी तुझे दिल से निकाल दिया
Jyoti Roshni
..
..
*प्रणय*
टूटकर बिखरना हमें नहीं आता,
टूटकर बिखरना हमें नहीं आता,
Sunil Maheshwari
कठपुतली
कठपुतली
Sarla Mehta
फैला था कभी आँचल, दुआओं की आस में ,
फैला था कभी आँचल, दुआओं की आस में ,
Manisha Manjari
आश्रित.......
आश्रित.......
Naushaba Suriya
असहाय वेदना
असहाय वेदना
Shashi Mahajan
मौत की कहानी (ग़ज़ल)
मौत की कहानी (ग़ज़ल)
ओनिका सेतिया 'अनु '
गीत- तेरी मुस्क़ान मरहम से...
गीत- तेरी मुस्क़ान मरहम से...
आर.एस. 'प्रीतम'
भावनाओं की किसे पड़ी है
भावनाओं की किसे पड़ी है
Vaishaligoel
बचपन
बचपन
संजय कुमार संजू
उसकी मर्जी
उसकी मर्जी
Satish Srijan
अब मत खोलना मेरी ज़िन्दगी
अब मत खोलना मेरी ज़िन्दगी
शेखर सिंह
मानी बादल
मानी बादल
PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य )
रगणाश्रित : गुणांक सवैया
रगणाश्रित : गुणांक सवैया
Sushila joshi
मेरा आसमां 🥰
मेरा आसमां 🥰
DR ARUN KUMAR SHASTRI
आज कल इबादते इसी कर रहे है जिसमे सिर्फ जरूरतों का जिक्र है औ
आज कल इबादते इसी कर रहे है जिसमे सिर्फ जरूरतों का जिक्र है औ
पूर्वार्थ
"मोहब्बत में"
Dr. Kishan tandon kranti
ज़िन्दगी एक बार मिलती हैं, लिख दें अपने मन के अल्फाज़
ज़िन्दगी एक बार मिलती हैं, लिख दें अपने मन के अल्फाज़
Lokesh Sharma
मायड़ भौम रो सुख
मायड़ भौम रो सुख
लक्की सिंह चौहान
ज़िन्दगी में पहाड़ जैसी समस्याएं होती है पर,
ज़िन्दगी में पहाड़ जैसी समस्याएं होती है पर,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
23/213. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/213. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
मुद्दत से संभाला था
मुद्दत से संभाला था
Surinder blackpen
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
हमें स्वयं के प्रति संदेह करना होगा जीवन की गहराई में उतरना
हमें स्वयं के प्रति संदेह करना होगा जीवन की गहराई में उतरना
Ravikesh Jha
सावन (दोहे)
सावन (दोहे)
Dr Archana Gupta
इतिहास ख़ुद को बार बार दोहराता है
इतिहास ख़ुद को बार बार दोहराता है
Sonam Puneet Dubey
मेरी कल्पना पटल में
मेरी कल्पना पटल में
शिव प्रताप लोधी
*ये दिन भी गुजर जाएंगे*
*ये दिन भी गुजर जाएंगे*
Shashank Mishra
तुमसे मोहब्बत है
तुमसे मोहब्बत है
Dr. Rajeev Jain
Loading...