Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
22 Feb 2024 · 1 min read

रुकना नहीं चाहता कोई

रुकना नहीं चाहता कोई
थमना नहीं चाहता कोई।
बस भागना चाहते हैं सब
आगे निकलना चाहते हैं सब।
वक्त नहीं है किसी के पास भी
परिवार के लिए
यारी दोस्ती के लिए।
बस शिखर पर पहुंचना है सबको
सबसे बड़ा बनना है सबको।
पर भूल जाते हैं लोग शायद
जितना ऊपर वह जाएंगे
उतने ही अकेले वह पड़ जाएंगे।
नहीं मिलेगा उन्हें कोई भी
बात करने के लिए
समझने के लिए।
अनदेखा सब इस बात को कर देते हैं
अपने को अपनों से दूर कर देते हैं।
क्योंकि…
रुकना नहीं चाहता कोई
थमना नहीं चाहता कोई।

– श्रीयांश गुप्ता

Language: Hindi
3 Likes · 145 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

अजब मामला
अजब मामला
धर्मेंद्र अरोड़ा मुसाफ़िर
खूब निभायी दोस्ती ,
खूब निभायी दोस्ती ,
sushil sarna
अपना गम देख कर घबरा गए
अपना गम देख कर घबरा गए
Girija Arora
एक उड़ती चिड़िया बोली
एक उड़ती चिड़िया बोली
दीपक बवेजा सरल
आप खुद को हमारा अपना कहते हैं,
आप खुद को हमारा अपना कहते हैं,
ओनिका सेतिया 'अनु '
संवेदना
संवेदना
Khajan Singh Nain
मजदूर
मजदूर
विशाल शुक्ल
*पानी सबको चाहिए, सबको जल की आस (कुंडलिया)*
*पानी सबको चाहिए, सबको जल की आस (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
बेरंग होते रंग
बेरंग होते रंग
Sarla Mehta
"खुद में खुद को"
Dr. Kishan tandon kranti
बचपन
बचपन
Shashi Mahajan
अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस
अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस
Dr Mukesh 'Aseemit'
"समझा करो"
ओसमणी साहू 'ओश'
सत्ता - सुख सबको अच्छा लगता है,
सत्ता - सुख सबको अच्छा लगता है,
Ajit Kumar "Karn"
सत्य की खोज में।
सत्य की खोज में।
Taj Mohammad
''आशा' के मुक्तक
''आशा' के मुक्तक"
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
औपचारिक सच
औपचारिक सच
Rashmi Sanjay
कर्णधार
कर्णधार
Shyam Sundar Subramanian
यह ज़िंदगी गुज़र गई
यह ज़िंदगी गुज़र गई
Manju Saxena
कामचोर (नील पदम् के दोहे)
कामचोर (नील पदम् के दोहे)
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
भार्या
भार्या
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
ঐটা সত্য
ঐটা সত্য
Otteri Selvakumar
I don't listen the people
I don't listen the people
VINOD CHAUHAN
सिर्फ काबिल बनने से घर चलते है
सिर्फ काबिल बनने से घर चलते है
पूर्वार्थ
3371⚘ *पूर्णिका* ⚘
3371⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
महकती नहीं आजकल गुलाबों की कालिया
महकती नहीं आजकल गुलाबों की कालिया
Neeraj Mishra " नीर "
3 *शख्सियत*
3 *शख्सियत*
Dr .Shweta sood 'Madhu'
कैलेंडर फिर बदल जाएगा
कैलेंडर फिर बदल जाएगा
Dheerja Sharma
विस्तार स्वप्न का
विस्तार स्वप्न का
Padmaja Raghav Science
याद रख कर तुझे दुआओं में ,
याद रख कर तुझे दुआओं में ,
Dr fauzia Naseem shad
Loading...