Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
16 Feb 2024 · 2 min read

जब बनना था राम तुम्हे

जब बनना था राम तुम्हे, दुर्योधन बन कर बैठ गये।
जब करना था काम तुम्हे, स्वार्थ साध कर बैठ गये।।
निगम रखा था नाम तुम्हारा, निर्गुण बन कर बैठ गये।
आशा की एक आप किरण थी, नित्यानंद मे रहती थी।।
मोह माया मे नही आप थी, माया मे फस कर बैठ गई।
लोभ और लालच पास नही थे, उन को पकड़कर बैठ गये।।
सुन्दर कितना जीवन था, आदर्श सभी के आप रहे।
ना जाने क्यो प्रेम की ममता और रामलाल को भूल गये।।

जब बनना था राम तुम्हे, दुर्योधन बन कर बैठ गये।
प्रेम की डोर ज्योंही टूटी, बिन माला के बिखर गये।।
यही थी सीख क्या मां की तुमको, जो हस्ते गाते रूठ गये।
भूल गए क्या सत्संग को तुम, उन्नती अपनी भूल गये।।
याद करो तुम अपनी ताकत, जब एक साथ मे रहते थे।
ज्यादा नही है बात पुरानी, जब एक थाल मे खाते थे।।
अहम के अपने शिखर को छूकर, मुहँ की खाके बैठ गये।
एक थे जबतक किया कमाल, अब बान्ध लगोटी बैठ गये।।

जब बनना था राम तुम्हे, दुर्योधन बन कर बैठ गये।
बड़े होने का फर्ज भूलकर, मुहँ को फुलाकर बैठ गये।।
याद करो तुम मां की ममता, एक सीध मे चलते थे।
ममता की ताकत भूल गये, अब इधर-उधर को चलते हो।।
समय नही है निकला अभी, मुठ्ठी बन्द तुम हो जाओ।
अभी समय है निखर सको तो, एक साथ तुम हो जाओ।।
अल्प अल्प है अभी अल्प ये, इसमे खुश मत हो जाओ।
अभी समय है बनो विशाल, संकीर्ण सोच मत हो जाओ।।

जब बनना था राम तुम्हे, दुर्योधन बन कर बैठ गये…

Language: Hindi
75 Views
Books from ललकार भारद्वाज
View all

You may also like these posts

मेह
मेह
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
।। आशा और आकांक्षा ।।
।। आशा और आकांक्षा ।।
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
SP53 दौर गजब का
SP53 दौर गजब का
Manoj Shrivastava
मुस्की दे प्रेमानुकरण कर लेता हूॅं।
मुस्की दे प्रेमानुकरण कर लेता हूॅं।
Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक
उसका प्रेम
उसका प्रेम
डॉ राजेंद्र सिंह स्वच्छंद
तुम्हारे इंतिज़ार में ........
तुम्हारे इंतिज़ार में ........
sushil sarna
52.....रज्ज़ मुसम्मन मतवी मख़बोन
52.....रज्ज़ मुसम्मन मतवी मख़बोन
sushil yadav
हंसना रास न आया
हंसना रास न आया
Ashok deep
एक दिन बिना इंटरनेट के
एक दिन बिना इंटरनेट के
Neerja Sharma
कोई पूछे तो
कोई पूछे तो
Surinder blackpen
इश्क
इश्क
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
कविता _ रंग बरसेंगे
कविता _ रंग बरसेंगे
Manu Vashistha
लहूलुहान धरती
लहूलुहान धरती
Mukund Patil
राजनीतिक संघ और कट्टरपंथी आतंकवादी समूहों के बीच सांठगांठ: शांति और संप्रभुता पर वैश्विक प्रभाव
राजनीतिक संघ और कट्टरपंथी आतंकवादी समूहों के बीच सांठगांठ: शांति और संप्रभुता पर वैश्विक प्रभाव
Shyam Sundar Subramanian
■ welldone
■ welldone "Sheopur"
*प्रणय*
आज कल इबादते इसी कर रहे है जिसमे सिर्फ जरूरतों का जिक्र है औ
आज कल इबादते इसी कर रहे है जिसमे सिर्फ जरूरतों का जिक्र है औ
पूर्वार्थ
" विश्वास "
Dr. Kishan tandon kranti
आँखों देखा हाल 'कौशल' लिख रहा था रोड पर
आँखों देखा हाल 'कौशल' लिख रहा था रोड पर
Kaushlendra Singh Lodhi Kaushal
*सबके भीतर हो भरा नेह, सब मिलनसार भरपूर रहें (राधेश्यामी छंद
*सबके भीतर हो भरा नेह, सब मिलनसार भरपूर रहें (राधेश्यामी छंद
Ravi Prakash
4617.*पूर्णिका*
4617.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
एक उम्र तक तो हो जानी चाहिए थी नौकरी,
एक उम्र तक तो हो जानी चाहिए थी नौकरी,
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
"मेरी कहानी"
Lohit Tamta
दीप जलते रहें - दीपक नीलपदम्
दीप जलते रहें - दीपक नीलपदम्
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
राम तुम भी आओ न
राम तुम भी आओ न
शालिनी राय 'डिम्पल'✍️
मिरे मिसरों को ख़यालात मत समझिएगा,
मिरे मिसरों को ख़यालात मत समझिएगा,
Shwet Kumar Sinha
12.धुंआ
12.धुंआ
Lalni Bhardwaj
गीत
गीत
Sarla Sarla Singh "Snigdha "
हम तुम्हें लिखना
हम तुम्हें लिखना
Dr fauzia Naseem shad
*दौलत (दोहा)*
*दौलत (दोहा)*
Rambali Mishra
*सरस्वती वंदना*
*सरस्वती वंदना*
Shashank Mishra
Loading...