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2 Oct 2024 · 1 min read

*सबके भीतर हो भरा नेह, सब मिलनसार भरपूर रहें (राधेश्यामी छंद

सबके भीतर हो भरा नेह, सब मिलनसार भरपूर रहें (राधेश्यामी छंद )
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सबके भीतर हो भरा नेह, सब मिलनसार भरपूर रहें
सब हों आपस में गुॅंथे हुए, जन सब कटुता से दूर रहें
अंतर्मन में हो शांति-महा, सब कलह-भावना को त्यागें
सब में हो संयम बसा हुआ, भोगों के पीछे मत भागें

रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा ,रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451

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