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13 Feb 2024 · 1 min read

आज तू नहीं मेरे साथ

आज तू नहीं मेरे साथ
तो क्या
तेरा वज़ूद
आज भी हमराह है मेरा
शाम की ख़ामोशियों में
आज भी
सुनता हूँ सरगोशिया अक्सर
जिनमें तेरा ज़िक्र होता है
डूबता उतरता रहता हूँ मैं
आज भी तेरी यादों के भंवर में
आज भी हर लम्हा
अक्स तेरा मेरी नज़रों में
क़याम करता है

हिमांशु Kulshrestha

1 Like · 288 Views

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