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4 Feb 2024 · 1 min read

मैं राग भरा मधु का बादल

मैं राग भरा मधु का बादल

देता दुनिया को संस्पन्दन
पा रहा अहर्निश अभिनन्दन
मेरे अवनी पर आने की
हैं बाट जोहते मन-मरुथल

संगीत -सिक्त मेरा गर्जन
सुन पुलकित उपवन-उर-आनन
मम नव्य नाद सुन प्रमन प्रकृति
मुझसे मिलने को देती चलचल

अवनी आलिंगन को अधीर
हो उठती, उठती हृदय-पीर
पग प्रगति-पंथ पर पड़ते ही
फहराता उसका मलयांचल

उत्तुंग शिखर पर धुवांधार
चुम्बन बरसाता बार-बार
सागर-सीमा से सतत दूर
हंसता हिमाद्रि हिय से अविकल

सस्मित भू का कोना-कोना
पूछता- हमारे ही हो ना?
मैं पंचामृत बन जाता हूं
पा दूध-दही-घृत-गंगाजल

_____ महेश चन्द्र त्रिपाठी

Language: Hindi
Tag: गीत
184 Views
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