Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
24 Jan 2024 · 1 min read

चम-चम चमके चाँदनी

चम-चम चमके चाँदनी, चाहे चाँद चकोर।
चीख-चीख चातक चपल,चुप चंदा चितचोर।।

चेतक चौकन्ना चला, चारा चरने खेत।
चंपक चरवाहा चतुर, है चुपचाप सचेत।
चुप-चुप-चुप चुपचाप चुप,चमगादड़ चहुँ ओर।
चम-चम चमके चाँदनी, चाहे चाँद चकोर।

चुस-चुस चुस्की चाय की, चना चबेना फाँक।
चुपके-चुपके चोर-सा, चालाकी से झाँक।
चुन्नी चाचा चाव से,चाटे चिकन चटोर।
चम-चम चमके चाँदनी, चाहे चाँद चकोर।

चपा-चपा चरखा चला,चक-चक चलती चाक।
चरर-चरर चकरी चरर, चटका चक्र चटाक।
चुपड़-चुपड़ कर चाशनी,चुपरी चुपर चपोर।
चम-चम चमके चाँदनी, चाहे चाँद चकोर।

ये पुलकित बचपन खिले,महक-उठे संसार।
चम-चम-चम चमके चमक,काव्यांचल परिवार।
काव्य कलश छलके सदा,हो कविता का शोर।
चम-चम चमके चाँदनी, चाहे चाँद चकोर।
-वेधा सिंह

Language: Hindi
Tag: गीत
190 Views
Books from Vedha Singh
View all

You may also like these posts

अंधी पीसें कुत्ते खायें।
अंधी पीसें कुत्ते खायें।
Vishnu Prasad 'panchotiya'
नारी
नारी
Sarla Sarla Singh "Snigdha "
कृष्ण जन्माष्टमी
कृष्ण जन्माष्टमी
रुपेश कुमार
जश्न
जश्न
Rambali Mishra
शम्स' गर्दिश जो यूं ही करता है।
शम्स' गर्दिश जो यूं ही करता है।
Dr fauzia Naseem shad
भारी पहाड़ सा बोझ कुछ हल्का हो जाए
भारी पहाड़ सा बोझ कुछ हल्का हो जाए
शेखर सिंह
कौन यहाँ पर किसकी ख़ातिर,, बैठा है,,
कौन यहाँ पर किसकी ख़ातिर,, बैठा है,,
Shweta Soni
3417⚘ *पूर्णिका* ⚘
3417⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
ज़हर क्यों पी लिया
ज़हर क्यों पी लिया
Surinder blackpen
My Interpretation of Religion
My Interpretation of Religion
Deep Shikha
सूर्योदय
सूर्योदय
Madhu Shah
।।
।।
*प्रणय*
क़दम-क़दम पे मुसीबत है फिर भी चलना है
क़दम-क़दम पे मुसीबत है फिर भी चलना है
पूर्वार्थ
कितने सावन बीत गए.. (सैनिक की पत्नी की मीठी मनुहार)
कितने सावन बीत गए.. (सैनिक की पत्नी की मीठी मनुहार)
पं अंजू पांडेय अश्रु
मत छेड़ हमें देशभक्ति में हम डूबे है।
मत छेड़ हमें देशभक्ति में हम डूबे है।
Rj Anand Prajapati
रे मन
रे मन
Usha Gupta
सुलोचना
सुलोचना
Santosh kumar Miri
कौन गया किसको पता ,
कौन गया किसको पता ,
sushil sarna
आंतरिक विकाश कैसे लाए। - रविकेश झा
आंतरिक विकाश कैसे लाए। - रविकेश झा
Ravikesh Jha
*सर्वोत्तम वरदान यही प्रभु, जिसका स्वास्थ्य प्रदाता है (मुक्
*सर्वोत्तम वरदान यही प्रभु, जिसका स्वास्थ्य प्रदाता है (मुक्
Ravi Prakash
नालन्दा
नालन्दा
Shailendra Aseem
उपासना
उपासना
Sudhir srivastava
sp116 बुझने लगे दीप
sp116 बुझने लगे दीप
Manoj Shrivastava
परेशानियों से न घबराना
परेशानियों से न घबराना
Vandna Thakur
भय की शिला
भय की शिला
शिवम राव मणि
कैसा कोलाहल यह जारी है....?
कैसा कोलाहल यह जारी है....?
पाण्डेय चिदानन्द "चिद्रूप"
हो चाहे कठिन से भी कठिन काम,
हो चाहे कठिन से भी कठिन काम,
Ajit Kumar "Karn"
मैं घमंडी नहीं हूँ ना कभी घमंड किया हमने
मैं घमंडी नहीं हूँ ना कभी घमंड किया हमने
Dr. Man Mohan Krishna
"चिन्तन का कोना"
Dr. Kishan tandon kranti
जब हक़ीक़त झूठ से टकरा गयी…!
जब हक़ीक़त झूठ से टकरा गयी…!
पंकज परिंदा
Loading...