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24 Jan 2024 · 1 min read

मैं कितना अकेला था….!

उस दिन मुझको पता चला कि मै कितना अकेला था,

जब घर से दूर लोगो ने मुझको यूं धकेला था।

लोगो की बढ़ती आशा को मैं खुद ही यूं सहता रहा,

ना जाने खुद को कितनी बार पागल मैं कहता रहा।

नही सोचा था मैंने की, कभी ऐसा दिन भी आएगा,

ये मां का दुलारा और पापा का सहारा, इस तरह टूट जायेगा।

ना सोचा था मैंने की,

जब कंधो पर होगा बोझ सकल, कोई मदद का हाथ नही बढ़ाएगा,

इस मासूम बालक को इतनी सीखे सिखलाएगा।

न जाने कितना तड़प गया,

इस दुनिया में भटक गया,

खुद ही खुद से बिछड़ गया,

इस दुनिया की दौड़ में मैं खुद से ही लड़ता रहा गया..।

3 Likes · 1 Comment · 208 Views
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