Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
14 Jan 2024 · 1 min read

– बंदिश ए जिन्दगी –

बंदिश ए जिंदगी –
बंदिश ए जिन्दगी मेरी,
ख्याल मेरे लाजवाब,
ख्याल मेरे करते है बवाल,
ख्यालों को शब्दो का रूप देकर ,
कलम के माध्यम से करता हु में संवारने का प्रयास,
संवर जाए मेरे ख्याल ऐसी करता हु में मां शारदे से अरदास,
शब्दो की माला में पिरोकर करता हु उसका श्रृंगार,
बंदिश ए जिंदगी मेरी,
ख्याल मेरे लाजवाब,
✍️ भरत गहलोत
जालोर राजस्थान

Language: Hindi
1 Like · 98 Views

You may also like these posts

मेरी (ग्राम) पीड़ा
मेरी (ग्राम) पीड़ा
Er.Navaneet R Shandily
एक स्त्री का प्रेम प्रसाद की तरह होता है,
एक स्त्री का प्रेम प्रसाद की तरह होता है,
पूर्वार्थ
कविता जीवन का उत्सव है
कविता जीवन का उत्सव है
Anamika Tiwari 'annpurna '
दर्द को मायूस करना चाहता हूँ
दर्द को मायूस करना चाहता हूँ
Sanjay Narayan
उलझो न
उलझो न
sheema anmol
थे जो आलमगीर परिंदे।
थे जो आलमगीर परिंदे।
पंकज परिंदा
हांथ जोड़ते-पैर पड़ते हैं, हर खता के बाद वो।
हांथ जोड़ते-पैर पड़ते हैं, हर खता के बाद वो।
श्याम सांवरा
न रोको तुम किसी को भी....
न रोको तुम किसी को भी....
डॉ.सीमा अग्रवाल
सरसी छंद और विधाएं
सरसी छंद और विधाएं
Subhash Singhai
उन बादलों पर पांव पसार रहे हैं नन्हे से क़दम,
उन बादलों पर पांव पसार रहे हैं नन्हे से क़दम,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
एक तूही दयावान
एक तूही दयावान
Basant Bhagawan Roy
खट्टे मीठे पल जिन्दगी के,।
खट्टे मीठे पल जिन्दगी के,।
अनुराग दीक्षित
सवाल सिर्फ आँखों में बचे थे, जुबान तो खामोश हो चली थी, साँसों में बेबसी का संगीत था, धड़कने बर्फ़ सी जमीं थी.......
सवाल सिर्फ आँखों में बचे थे, जुबान तो खामोश हो चली थी, साँसों में बेबसी का संगीत था, धड़कने बर्फ़ सी जमीं थी.......
Manisha Manjari
कविता
कविता
Nmita Sharma
🙅एक ही राय🙅
🙅एक ही राय🙅
*प्रणय*
"सदियों से"
Dr. Kishan tandon kranti
सत्यं शिवम सुंदरम!!
सत्यं शिवम सुंदरम!!
ओनिका सेतिया 'अनु '
कामनाओं का चक्र व्यूह
कामनाओं का चक्र व्यूह
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
गणेश अराधना
गणेश अराधना
Davina Amar Thakral
प्रकृति संरक्षण (मनहरण घनाक्षरी)
प्रकृति संरक्षण (मनहरण घनाक्षरी)
मिथलेश सिंह"मिलिंद"
मन वैरागी हो गया
मन वैरागी हो गया
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
कुटिल बुद्धि की सोच
कुटिल बुद्धि की सोच
RAMESH SHARMA
*बचपन की बातें छूट गईं, फिर राधा से प्रभु कहॉं मिले (राधेश्य
*बचपन की बातें छूट गईं, फिर राधा से प्रभु कहॉं मिले (राधेश्य
Ravi Prakash
अपनी सोच का शब्द मत दो
अपनी सोच का शब्द मत दो
Mamta Singh Devaa
"तुम्हारी याद आई"
Lohit Tamta
श्राद्ध पक्ष में सनातन संस्कृति का महत्व
श्राद्ध पक्ष में सनातन संस्कृति का महत्व
Sudhir srivastava
दहेज उत्पीड़न और घरेलू हिंसा
दहेज उत्पीड़न और घरेलू हिंसा
manorath maharaj
रोशनी
रोशनी
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
ये नसीबा खेल करता जिंदगी मझधार है ।
ये नसीबा खेल करता जिंदगी मझधार है ।
Jyoti Shrivastava(ज्योटी श्रीवास्तव)
संवेदना बदल गई
संवेदना बदल गई
Rajesh Kumar Kaurav
Loading...