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22 May 2024 · 1 min read

एतबार

कयूँ चाहते हो मैं अब एतबार कर लूँ,
थमी सांसों से तुम्हारा इंतज़ार कर लूँ ।

हर साँस में बसा लिया था तुमको,
इंकार में अब कैसे इकरार कर लूँ।

गम नहीं रहा अब तुम्हारे न लौटने का,
यादें मिटाने का अब कोई इंतज़ाम कर लूँ।

दस्तक तो देते हो रह-रह कर ख़्वाब में तुम,
खामोशियों से ही तुम्हारे प्यार का इज़हार कर लूँ ।

भले आईने सा टूट कर टुकड़े हुआ बेचारा ये दिल,
क्यूँ न हर टुकड़े में ही तेरे अक्स का दीदार कर लूँ।

डॉ दवीना अमर ठकराल’देविका’

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