Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
27 Dec 2023 · 1 min read

दहन

ये धुआँ सा कहाँ से उठता है ?

फ़िज़ा में ये सुगबुगाहट कैसी है ?

लगता है कहीं कुछ जल रहा है ,

माहौल में ये चुप्पी कैसी तारी है ?

लगता है चुप रहना ‘अवाम की मजबूरी है ,

हर शख्स दिल में एक दहन लिए जी रहा है ,

बेचैन दिल का ग़ुबार लब़ों तक आने को मचल रहा है ।

180 Views
Books from Shyam Sundar Subramanian
View all

You may also like these posts

तुम आए कि नहीं आए
तुम आए कि नहीं आए
Ghanshyam Poddar
🚩वैराग्य
🚩वैराग्य
Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक
आंगन को तरसता एक घर ....
आंगन को तरसता एक घर ....
ओनिका सेतिया 'अनु '
मेरी मंज़िल क्या है,
मेरी मंज़िल क्या है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
क्यो नकाब लगाती
क्यो नकाब लगाती
भरत कुमार सोलंकी
दूहौ
दूहौ
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
भाव हमारे निर्मल कर दो
भाव हमारे निर्मल कर दो
Rajesh Kumar Kaurav
#प्रसंगवश
#प्रसंगवश
*प्रणय*
सडा फल
सडा फल
Karuna Goswami
फसल
फसल
Bodhisatva kastooriya
कोशिशों की न पूछ कुछ हमसे,
कोशिशों की न पूछ कुछ हमसे,
Dr fauzia Naseem shad
मौज-मस्ती
मौज-मस्ती
Vandna Thakur
मिल कर उस से दिल टूटेगा
मिल कर उस से दिल टूटेगा
हिमांशु Kulshrestha
"अदा"
Dr. Kishan tandon kranti
रिश्ते अब रास्तों पर
रिश्ते अब रास्तों पर
Atul "Krishn"
रिश्तों की दीवार
रिश्तों की दीवार
अरशद रसूल बदायूंनी
*सम्मान*
*सम्मान*
नवल किशोर सिंह
2709.*पूर्णिका*
2709.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
ख्वाइश
ख्वाइश
Mandar Gangal
उनके नैनन के वार झेलेनी
उनके नैनन के वार झेलेनी
आकाश महेशपुरी
शीर्षक: बाबुल का आंगन
शीर्षक: बाबुल का आंगन
Harminder Kaur
हँसी का पात्र
हँसी का पात्र
Sudhir srivastava
इस जहां में यारा झूठ की हुक़ूमत बहुत है,
इस जहां में यारा झूठ की हुक़ूमत बहुत है,
Shikha Mishra
रूठे हुए को तो मना लूं मैं,
रूठे हुए को तो मना लूं मैं,
श्याम सांवरा
स्कंदमाता
स्कंदमाता
मधुसूदन गौतम
कुछ ही दिन में दिसंबर आएगा,
कुछ ही दिन में दिसंबर आएगा,
Jyoti Roshni
कुंडलिया छंद
कुंडलिया छंद
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
गामक
गामक
श्रीहर्ष आचार्य
लगाकर तू दिल किसी से
लगाकर तू दिल किसी से
gurudeenverma198
सरहद
सरहद
Rajeev Dutta
Loading...