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5 Dec 2023 · 3 min read

#व्यंग्य-

#व्यंग्य-
■ न्यूज़ : उड़ा दे फ्यूज, करे कन्फ्यूज़।
★ समाचार बोले तो गुर्दा-फाड़ स्पर्द्धा।
【प्रणय प्रभात】
समाचार अब समाचार नहीं रहे। केवल चीत्कार बन चुके हैं। चीत्कार भी निरीह जनता की नहीं।करोड़ों के कारोबार को हरा-भरा रखने को बेताब मीडिया हाउस की। टीआरपी के बूते नौकरी बचाए व बनाए रखने को बेहाल एंकर्स व मैदानी रिपोर्टर्स की।
मंशा सिर्फ़ और सिर्फ़ “तूल के बबूल पर सनसनी के फूल” खिलाने की। नीयत “तिल को ताड़ और राई को पहाड़” बना डालने की। आवाज़ ऐसी मानो गला और गुर्दा एक साथ फट पड़ने को बेताब हो। अंदाज़ मैदानी-जंग में “यलगार” बोलने जैसा। लहजा “ऑनलाइन बिजनिस” वाले घटिया चैनलों के दिहाड़ी वाले होस्ट जैसा। काम दो कोड़ी के बेतुके मुद्दे पर एक-एक लाइन को बार-बार लगातार दोहरा कर ख़ुद से ज़्यादा जनता का टाइम खोटा करना। गढ़े मुर्दे उखाड़ कर लाना और वास्तविक मुद्दों को बर्फ में लगाना। जनहित से जुड़े मसलों को “ममी” बना कर उस पर सत्ता के एजेंडों का “पिरामिड” बनाना।
प्रयास सत्तारूढ़ दल के पक्ष में कथित विश्लेषकों, विषेषज्ञों व प्रवक्ताओं को उकसाना। बेदम विपक्ष की आवाज़ को लगातार दबाना और मखौल का विषय बनाना। जवाब के बीच अजीब से कुतर्क ठूंसना और बात को सुने बिना मुंह में अपने शब्द डालना। मानो इनका पैदाइशी हक़ हो। विपक्ष के नुमाइंदों के वाक्यों से विवादित शब्द पकड़ कर हमलावर होना और सत्ता पक्ष के प्रतिनिधियों की चिरौरी करना बाध्यता। देश मे वाजिब मुद्दों और मसलों का टोटा जबरन साबित करने वाले इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के ढर्रे को दर्शाती एक बानगी देखिए। एक रोचक व काल्पनिक समाचार के रूप में-
सुर्ख लाल बैकग्राउंड के सामने काले वेस्टर्न लिबास में सजी और लिपी-पुती महिला एंकर। अपना और अपने शो का नाम बताने के बाद अचानक “रेसिंग बाइक” या “फार्मूला-वन की कार” की तरह पिकअप पकड़ते हुए न केवल अपना वॉल्यूम बढ़ा देती है, बल्कि दर्शकों की हार्ट-बीट भी तेज़ कर देती है। कुछ इस अंदाज़ में-
“इस वक़्त आप देख रहे हैं देश के नम्बर-वन “पकाऊ न्यूज़” का सबसे दमदार शो “भेजा फ्राई।” आज आपके लिए हम लेकर आए हैं एक बहुत बड़ी खबर। जी हां, “झूमरी तलैया” से आ रही है आज की सबसे बड़ी खबर। सही सुन रहे हैं आप। हम आपको बता रहे हैं आज की सबसे बड़ी खबर।
पुलिस कस्टडी में रात भर रोती रही मधुप्रीत। जी हां, बिल्कुल सही सुन रहे हैं आप। टेलीविज़न के इतिहास में अब आएगा भूचाल। खबर से जुड़े हर पहलू को सामने लाने के लिए पांच जगह मौजूद हैं हमारे रिपोर्टर। पल-पल की अपडेट्स के साथ। इंतज़ार कीजिए, दिल थाम कर।। हम करेंगे मधुप्रीत के एक-एक आंसू से जुड़ा धाँसू खुलासा। आज हम बताएंगे आपको पल-पल का हाल।
जी हां, देश के नम्बर-वन चैनल पर मिलेगी आपको एक-एक जानकारी। सटीक सवाल और जवाब के साथ। आज हम बताएंगे आपको-
● कितना बड़ा था एक-एक आंसू का आकार?
● क्या रहा प्रत्येक आंसू का एक्यूरेट वज़न?
● प्रति मिनट टपके औसतन कितने आंसू?
● आंसू दांई आंख से ज़्यादा निकले या बांई आंख से?
● इम्पोर्टेड रेशमी रूमाल ने सोखे कितने टसुए?
● कितने आंसुओं ने भिगोया मधुप्रीत का मलमली दुपट्टा?
आज पूरा सच उजागर करेगा आपका पसंदीदा और देश का सबसे सुपर फास्ट चैनल। बस 300 सेकंड के एक छोटे से ब्रेक के बाद। मोर्चे पर डेट हैं हम और हमारे सारे रिपोर्टर। चैनल के सामने डटे रहिए आप भी। मिलते हैं ब्रेक के बाद।
कुल मिला कर हर दिन इस तरह की लगभग तिहाई-चौथाई दर्ज़न खबरों व अगले दिन से उन पर होने वाली नतीजा-हीन डिबेट्स। बाक़ी समय में घिसे-पिटे और पकाऊ विज्ञापनों के बीच फ़टाफ़ट अंदाज़ में हफ़्ते भर पुरानी खबरों के अंश। बची-खुची मानसिकता को संक्रमित करते प्रायोजित शोज़ और सारहीन बुलेटिन्स।
अब सोचना “टीआरपी के हवन-कुंड” की आहुति बनने वाले आप-हम जैसे दर्शकों को है। सोचना बस इतना है कि बेनागा परोसी जाने वाली “बासी और मसालेदार खिचड़ी” का देश और जन हित से क्या सरोकार है? यदि कोई सरोकार नहीं, तो हम क्यों चिपके रहें भ्रम और उन्माद फैलाने वाले चैनलों के सामने? क्यों बढ़ाएं उनकी वो टीआरपी, जो “झूठ के झाड़” के लिए हर दिन “मृत-संजीवनी” साबित हो रही है? सोचना केवल इसलिए लाज़मी है, कि टीव्ही रिचार्ज पर खर्च होने वाला पैसा हमारा है। बर्बाद होने वाली मानसिकता और समय भी। जिनके नियमित दुरुपयोग के हम आदी हो चुके हैं। प्रार्थना बस इतनी सी कि, ईश्वर हम सभी को समयोचित सद्बुद्धि दे। आमीन…।।
■प्रणय प्रभात■
●संपादक/न्यूज़&व्यूज़●
श्योपुर (मध्यप्रदेश)

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