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2 Dec 2023 · 1 min read

तसव्वुर

मसर्रत की ऐसी हवा चली है ,
माहौल की सरगर्मियां लुत्फ़-अंदोज़ हो रहीं हैं ,

लगता है अभी-अभी
किसी ने मुझे प्यार से छूआ है ,
ज़ेहन में अजब सी
मदहोशी का एहसास हो रहा है ,

हर सम्त फ़जा भी
खुश़गवार हो रही है ,
रोशन शुआओं की
एक नई सुबह हो रही है ,

यादों का कारवां रफ़्ता-रफ़्ता पीछे
छूटता जा रहा है ,
वक्त के इस्तिक़बाल में लम्हों का
जुलूस जा रहा है ,

आरज़ू के उफ़क से उम्मीद-ए- ज़िदगी का
आग़ाज़ हो रहा है,
इक बुलंद मुस्तक़बिल रहने का
तसव्वुर हो रहा है ।

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