तन्हा ही करते सफर देखा गया
छूटता दोषी इधर देखा गया
धन को पुजते जब उधर देखा गया
मौत से कोई बचा पाया नहीं
पर डरा हर उम्र भर देखा गया
ज़िन्दगी जिनसे मिली जग में उन्हें
बोझ अक्सर मान कर देखा गया
दोस्त कितने हो यहाँ पर आदमी
तन्हा ही करते सफर देखा गया
होटलों को शक्ल देकर गांव की
फख्र करता अब शहर देखा गया
प्यार में पलकें झुकी यूँ शर्म से
उनको बस इक ही नज़र देखा गया
वक़्त रहता एक सा कब अर्चना
गुम भी अक्सर नामवर देखा गया
डॉ अर्चना गुप्ता