देखा नहीं आईना, भूलकर भी उन्होंने
देखा नहीं आईना, भूलकर भी उन्होंने
नयन कजली हो चले थे, ज़माने की आंखों से..
तुम्हारे सलीके से अनजान थे,
वफ़ा कर बैठे
साकी, कल हम थे, आज कोई और है और कल कोई और..
देखा नहीं आईना, भूलकर भी उन्होंने
नयन कजली हो चले थे, ज़माने की आंखों से..
तुम्हारे सलीके से अनजान थे,
वफ़ा कर बैठे
साकी, कल हम थे, आज कोई और है और कल कोई और..