दोहा पंचक. . . . लेखक
दोहा पंचक. . . . लेखक
लेखक भावों का करे, नव रस से शृंगार ।
शब्द- शब्द में कल्पना, को करता साकार ।।
लेखक लिखता आज के, जीवन का साहित्य ।
अन्धकार जो चीर दे ,ऐसा वो आदित्य ।।
लेखक लड़ता झूठ से, निर्भय होकर जंग ।
करे सदा साकार वह, अमर सत्य के रंग ।।
कहीं विरह की वेदना, कहीं मदन शृंगार ।
लेखक शब्दों से करे, तीक्ष्ण भाव की धार ।।
संस्कारों का हो हनन , या नारी की बात ।
करे उजागर शब्द से, लेखक हर आघात ।।
सुशील सरना / 16-12-24