स्वामी श्रद्धानंद का हत्यारा, गांधीजी को प्यारा
प्रेम कई रास्तों से आ सकता था ,
जो रिश्ते दिल में पला करते हैं
ज़िन्दगी से नहीं कोई शिकवा
रंज-ओ-सितम से दूर फिरसे इश्क की हो इब्तिदा,
मेहनत से रोटी मिले दो वक्त की
मान न मान मैं तेरा मेहमान
Dr Arun Kumar shastri ek abodh balak Arun atript
बस जाओ मेरे मन में , स्वामी होकर हे गिरधारी
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
इक मेरे रहने से क्या होता है
देवेंद्र प्रताप वर्मा 'विनीत'
ये ताज़गी ये तबस्सुम और ये ज़िन्दगी
जनसंख्या का भार
Vishnu Prasad 'panchotiya'