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27 Jan 2024 · 1 min read

बस जाओ मेरे मन में , स्वामी होकर हे गिरधारी

बस जाओ मेरे मन में , स्वामी होकर हे गिरधारी
धर्म राह पर ले चल मुझको , हे मुरलीधर हे बनवारी

तुम करुणा के सागर मेरे , बस जाओ मन में त्रिपुरारी
चरण कमल तेरे सब अर्पण , जीवन से तारो बनवारी

निष्ठुर होकर भुला न देना , चरण कमल जाऊं बलिहारी
चरण कमल में ले लो हमको , पुण्य करो जीवन गिरधारी

अभिलाषा बस इतनी मेरी , मुझको दरश दे दो बनवारी
मुश्किल में है नैया मेरी , पार लगा दो हे गिरधारी

हे पावन परमेश्वर मेरे , कर दो मुझको तुम संसारी
रत्नाकर सा ह्रदय हो मेरा , कुछ ऐसा कर दो बनवारी

मैं तेरे चरणों में आकर , हो जाऊं बलिहारी
उपकार तेरा मुझ पर हो इतना , हे मुरलीधर हे गिरधारी

तुझको पाकर जीवन मेरा , खिल जाए हो बनवारी
मुझको जीवन पार लगा दो , हे मुरलीधर हे बनवारी

बस जाओ मेरे मन में , स्वामी होकर हे गिरधारी
धर्म राह पर ले चल मुझको , हे मुरलीधर हे बनवारी

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Books from अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
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