पारस्परिक सहयोग आपसी प्रेम बढ़ाता है...
समाजों से सियासत तक पहुंची "नाता परम्परा।" आज इसके, कल उसके
कभी कभी युही मुस्कुराया करो,
"सहर होने को" कई और "पहर" बाक़ी हैं ....
ज़िंदगी जीना सीख जाते हैं ,
Independence- A mere dream
ऐसे इंसानों के जीवन की शाम नहीं होती “
कुछ रिश्ते
देवेंद्र प्रताप वर्मा 'विनीत'
धर्मांध
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
हर एक ईट से उम्मीद लगाई जाती है
*प्यार भी अजीब है (शिव छंद )*
जग में वो ही सच में, सच्चा गुरु कहलाता है