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27 Oct 2023 · 1 min read

#समय समय से चलता

★ #समय समय से चलता ★

सुलग रहा है गात मेरा घोर अपमान से
अंधी रात छूटा है तीर जिह्वाकमान से

हंसना रोना गाना अपराध हुए सभी
जी रहा हूँ फिर भी कोई कह दे राम से

पुंजिकस्थला वेदवती शापों से टल गईं
अयोनिजा का तप कि रावण गया प्राण से

अहोरात्र की घड़ियां घड़ियों के पल विपल
समय समय से चलता सुना है सुजान से

दीन हीन मलिन हुई रघुनाथ की पुरी
दूषणों खरों के ठिये चुभते मसान से

आँख कान नाक सभी झालरों ढंके
बिक रहा है झूठ आज सच की दुकान से

दबके मर गया कोई जामुन के पेड़ के तले
सत्ता के पथ चौराहे अपरिचित तूफान से

शाखाएं फूल पत्तियाँ उपवन की रौनकें
जड़ें बता रही हैं यहाँ बीज गये हैं जान से

खेतों की आग दिख रही चूल्हों की मंद है
आँखों में उतर न जाये कह दो राजान से

मैं मन की कह रहा हूँ नहीं ज्ञान बाँचता
छंद कबित्त दोहा है क्या पूछो विद्वान से

८-११-२०१९

#वेदप्रकाश लाम्बा
यमुनानगर (हरियाणा)
९४६६०-१७३१२

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