Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
22 Oct 2023 · 2 min read

यमराज का निर्जल उपवास

यमराज का निर्जल उपवास
अभी अभी अचानक यमराज से मुलाकात हो गई
दुआ सलाम के बाद थोड़ी बात हो गई,
मैंने पूछा कहाँ भटक रहे हो?
आजकल नवरात्रि चल रहा है
तब भी चैन से नहीं बैठ पा रहे हो
कुछ पूजा पाठ, मां का ध्यान शायद नहीं कर रहे हो।
यमराज हाथ जोड़कर बोला
प्रभु जी!आपका आरोप गलत है
आज तो आपका विचार एकदम निरर्थक है।
मैं भी आदिशक्ति का भक्त हूं
पूजा पाठ का ज्ञान तो नहीं है
फिर भी निर्जल उपवास करता हूँ।
मैं आडंबर नहीं करता पर मन साफ रखता हूँ
नियम धर्म का पालन तो पूरे साल करता हूं
हाँ! मंदिर में जाकर शीष झुकाना
सिर्फ नवरात्रि में ही करता हूं
पर अपना कर्म पूरी निष्ठा लगन ईमानदारी से करता हूँ
अनीति और भ्रष्टाचार से कोसों दूर रहता हूँ
हिंसा से दूर दूर तक रिश्ता नहीं रखता हूँ
सांप्रदायिक सौहार्द बनाए रखने का
हर संभव प्रयास करता हूँ।
जाति धर्म का भेद मुझे समझ में नहीं आया
सबसे सम व्यवहार का जन्मजात गुण पाया है,
पर आपकी धरती की दशा देख
मन बहुत अकुलाता है।
आवरण ओढ़कर भरमाना मुझे नहीं आता है,
मातृशक्तियों का सम्मान करना मुझे खूब आता है
अच्छा है आपकी वोटर लिस्ट में
मेरा नाम नहीं आता है।
आप मुझे माफ कीजिए
आजकल धरती पर जो कुछ हो रहा है
वो मुझे बिल्कुल नहीं सुहाता है,
कमसे कम पूजा पाठ भक्ति की आड़ में
जगत जननी को तो मैं नहीं भरमाता हूँ
वैमनस्यता, सांप्रदायिकता फैलाने का दोषी तो नहीं हूँ
माँ, बहन, बेटियों को मुझसे डर तो नहीं लगता
सबसे सीधा सरल सहज है मेरा रिश्ता।
अज्ञानी, मूढ़, बेवकूफ ही सही
हर किसी से नजरें मिलाकर बात तो करता हूँ,
क्योंकि नजर चुराने जैसा कोई काम नहीं करता हूँ।
आपको सब पता है मैं कोई फरिश्ता नहीं हूं
यमराज हूँ तो डंके की चोट पर
खुद को यमराज ही कहता हूँ
साधू बन शैतानी के काम नहीं करता हूँ,
मैं बहुत खुश हूँ
कमसे कम अपनी माँ ही नहीं
किसी भी माँ का अपमान तो नहीं करता,
खून के आंसू नहीं रुलाता,उनकी कोख नहीं लजाता
हर नारी में माँ का स्वरूप देखता हूँ
पूजा पाठ में विश्वास नहीं करता
पर जगत जननी को भी अपनी माँ ही मानता हूँ।
बस एक अवगुण आ गया है मुझमें
आपकी दुनिया के रंग में रंग गया हूँ,
अब मैं भी नौ दिनों का
निर्जल उपवास करने लग गया हूँ,
पर आप भ्रमित न होइए सरकार
इसके लिए भी आदिशक्ति से मिलकर
पहले अनुमति ले चुका हूँ।
अब आप भी चलिए पूजा पाठ निपटाइए
और मुझे भी अपनी ड्यूटी पर जाने दीजिए
अपना स्नेह आशीर्वाद यूं ही बनाए रखिए
पर अपनी दुनिया के चोंचलों में मुझे न फँसाइए।

सुधीर श्रीवास्तव
गोण्डा उत्तर प्रदेश

Language: Hindi
1 Like · 207 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
विषय -किताबें सबकी दोस्त!
विषय -किताबें सबकी दोस्त!
Sushma Singh
नन्हा मछुआरा
नन्हा मछुआरा
Shivkumar barman
बहुत मुश्किल है दिल से, तुम्हें तो भूल पाना
बहुत मुश्किल है दिल से, तुम्हें तो भूल पाना
gurudeenverma198
साधिये
साधिये
Dr.Pratibha Prakash
भ्रम और शक ( संदेह ) में वही अंतर है जो अंतर धुएं और बादल मे
भ्रम और शक ( संदेह ) में वही अंतर है जो अंतर धुएं और बादल मे
Rj Anand Prajapati
Story of homo sapient
Story of homo sapient
Shashi Mahajan
यूं गौर से मुस्कुरा कर न मुझे देखा करों।
यूं गौर से मुस्कुरा कर न मुझे देखा करों।
Rj Anand Prajapati
पत्नी
पत्नी
विशाल शुक्ल
चन्द्रघन्टा माँ
चन्द्रघन्टा माँ
Shashi kala vyas
शब्द
शब्द
Ajay Mishra
वाणी से हमारे संस्कार, विचार, व्यवहार और हमारे आचरण का पता च
वाणी से हमारे संस्कार, विचार, व्यवहार और हमारे आचरण का पता च
ललकार भारद्वाज
मोहब्बत
मोहब्बत
Phool gufran
"रचना अतिथि होती है। जो तिथि व समय बता कर नहीं आती। कभी भी,
*प्रणय प्रभात*
नकाब पोश
नकाब पोश
ओनिका सेतिया 'अनु '
हम कैसे जीवन जीते हैं यदि हम ये जानने में उत्सुक होंगे तभी ह
हम कैसे जीवन जीते हैं यदि हम ये जानने में उत्सुक होंगे तभी ह
Ravikesh Jha
मुद्दा सुलझे रार मचाए बैठे हो।
मुद्दा सुलझे रार मचाए बैठे हो।
Kumar Kalhans
मैं तेरी हो गयी
मैं तेरी हो गयी
Adha Deshwal
योग ब्याम ,ध्यान कर लिए करे
योग ब्याम ,ध्यान कर लिए करे
goutam shaw
*मुरादाबाद मंडलीय गजेटियर 2024 (कुंडलिया)*
*मुरादाबाद मंडलीय गजेटियर 2024 (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
साधना
साधना
Dr. Bharati Varma Bourai
हो चाहे कठिन से भी कठिन काम,
हो चाहे कठिन से भी कठिन काम,
Ajit Kumar "Karn"
*****रामलला*****
*****रामलला*****
Kavita Chouhan
क्षितिज के उस पार
क्षितिज के उस पार
Suryakant Dwivedi
Micro poem ...
Micro poem ...
sushil sarna
सती अनुसुईया
सती अनुसुईया
Indu Singh
*विभाजित जगत-जन! यह सत्य है।*
*विभाजित जगत-जन! यह सत्य है।*
संजय कुमार संजू
हम तुम और इश्क़
हम तुम और इश्क़
Surinder blackpen
वर्ण पिरामिड
वर्ण पिरामिड
Rambali Mishra
मुकाम जब मिल जाए, मुकद्दर भी झुक जाता है,
मुकाम जब मिल जाए, मुकद्दर भी झुक जाता है,
पूर्वार्थ
Loading...