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29 May 2023 · 1 min read

सिर्फ तुम

सांसों का निनाद,
अंतस का कोलाहल।
जीवन की स्वर लहरी,
भावों की जलहरी।
स्पंदन की प्रेरणा,
संसर्ग की चेतना।
देह की कस्तूरी,
बोध की माधुरी।
उन्मीलित नैन की आस,
खुली पलक का विश्वास।
सृजन की धारा,
प्रतीकों की नौका।
अनुभव की उत्तुंग लहरें,
विश्वास के किनारे।
विचलित करते प्रश्न,
आश्वस्त करते उत्तर।
व्यष्टि का प्रेम,
समष्टि का स्नेह।
सूक्ष्म रूप में उपजे,
विराट में पनपे।
सिर्फ तुम ही हो,
कोई और नहीं हो।
,

Language: Hindi
1 Like · 387 Views
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