वो गुस्से वाली रात सुहानी
वो गुस्से वाली रात सुहानी
करबट बदल कर सोई दिवानी
था मुँह पर गुस्सा बेशुमार
पर आँखों में थोड़ी शैतानी
पता नहीं क्या मिलता उसको
लड़ कर थोड़ा थोड़ा मुझसे
बिन मेरे वो रह नहीं सकती
फिर भी मेरी बात ना मानी
कुछ ऐसी वो रात सुहानी
करबट बदल कर सोई दिवानी
वो गुस्से में ब्लॉक भी करती
फिर भी मुझ पर बेहद मरती
वो साँसों में ले नाम मेरा
कुछ इस कदर इश्क़ है करती
वो जान मानती है मुझको
फिर भी कहती दुश्मन जानी
वो गुस्से वाली रात सुहानी
करबट बदल कर सोई दिवानी
… 𝐑𝐞𝐚𝐥 𝐋𝐨𝐯𝐞@𝟏