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19 May 2023 · 1 min read

14. ऐ हमनशीं !

दो नसीबों ने प्यार से मुस्कुराया।
दो दिलों को है दिल से मिलाया।।

काँटों ने जब रोका कभी रस्ता भी।
फूलों ने तभी कालीन है बिछाया।।

रश्क़ हुआ चाँद को भी ये देख कर।
चाँद जब एक दूसरा मेरे घर आया।।

ज़िन्दगी थी अधूरी तेरे बग़ैर यहाँ।
जो मिली तू, ख़ुद को सँवार पाया।।

जल गये लोग हमारी तक़दीर देख।
जो तुझे अपनी ज़ोजियत में लाया।।

ख़ुशनुमा हो गये दिन ज़िन्दगी के।
जब से तुझे मैं ने हमसफ़र बनाया।।

तेरी हर ख़ामियों को कर दरकिनार।
मैं ने तहेदिल से है तुझे अपनाया।।

ग़लतियाँ गर मुझ से भी हुई कभी।
तू ने तो प्यार से है उसे भी भुलाया।।

मंडराया ग़म का बादल जब कभी।
साथ हम ने एक दूसरे का निभाया।।

सातों जन्म मैं पाऊं तुझे, ऐ हमनशीं !
बस यही दुआ है तुझ से, मेरे ख़ुदाया !

मो• एहतेशाम अहमद,
अण्डाल, पश्चिम बंगाल, इंडिया

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