सोच की अय्याशीया
![](https://cdn.sahityapedia.com/images/post/45e26b9df926aba75c6f30d44aac29a2_fa6d43b6defabc6550d6b840eb79444f_600.jpg)
ताने बाने बुने बनाए
समाज उसी पर इतराए
कैसे टुटे दिशा विचार
कहलाए सोच अय्याश
पढना लिखना नम्बर लाना
मकसद एक नौकर बन जाना
ज्ञान वृद्धि कौन सिखाए
अय्याश के दाग लगाए
प्रेम प्यार मे कैसा जीना
जाती धरम को जिसने छीना
पेड पर ही लटका पाए
विधर्मी अय्याश कहाए
मन लग जाए जिसका खेल
जीवन उसका रेलमपेल
तमगे ट्रॉफी जीत हार अब
कहे अय्याशी के नाम सब
नाच गान की इच्छा पाले
टूट रहे बिन हिम्मत वाले
कहां काम की दाद है पाए
पर नजरो मे अय्याश बन जाए
जग मे बडी कठिन रुस्वाईया
पार पाए, पा जाए शाबाशिया
नसीब मे जिन्दादिल जीवट के
जीवन मे सोच की अय्याशीया