** लगाव नहीं लगाना सखी **
अपने अंदर करुणा रखो आवेश नहीं मेघ की वर्षा से पुष्प खिलते है
अधर्म उन्नति और पूर्व पुण्य (✍🏻 स्वछंद कवि आलोक पांडेय)
दोहा पंचक. . . . वर्तमान :
गुज़ारिश है तुमसे
पूनम 'समर्थ' (आगाज ए दिल)
*गॉंधी जी मानवतावादी, गॉंधी जी के उर में खादी (राधेश्यामी छं
उम्मीद देगी क्या ये भला जनवरी हमें
It wasn't easy arising from the pain.
सजी सारी अवध नगरी , सभी के मन लुभाए हैं
brown in his eyes reminds me of those morning skies
नृत्य किसी भी गीत और संस्कृति के बोल पर आधारित भावना से ओतप्
चराचर के स्वामी मेरे राम हैं,
Anamika Tiwari 'annpurna '
हमने बस यही अनुभव से सीखा है