Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
6 Apr 2023 · 1 min read

छोड़ी घर की देहरी ,छोड़ा घर का द्वार (कुंडलिया)

छोड़ी घर की देहरी ,छोड़ा घर का द्वार (कुंडलिया)
☘️🍁☘️🍁☘️☘️☘️☘️☘️
छोड़ी घर की देहरी ,छोड़ा घर का द्वार
नई उड़ानें भर चली , नारी अब संसार
नारी अब संसार , न सीमा रही रसोई
नारी होती हीन , न कह पाता अब कोई
कहते रवि कविराय ,श्रेष्ठता नर की तोड़ी
नर को दिया पछाड़ ,पुरुष-निर्भरता छोड़ी
🌿🌱🌿🌱🌿🌱🌿🌱🌿
देहरी = द्वार पर लगी चौखट की जमीन वाली लकड़ी या पत्थर ,दहलीज, घर के मुख्य द्वार का बाहरी भाग
🌱🌿🌱🌿🌱🌿🌱🌿🌱🌿
रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451

651 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ravi Prakash
View all

You may also like these posts

ज़िंदगी
ज़िंदगी
Dr. Rajeev Jain
मसला हो ही जाता है
मसला हो ही जाता है
Vivek Pandey
जो व्यक्ति दुःख और सुख दोनों में अपना सहमति रखता हो वह व्यक्
जो व्यक्ति दुःख और सुख दोनों में अपना सहमति रखता हो वह व्यक्
Ravikesh Jha
काश हुनर तो..
काश हुनर तो..
Dr. Kishan tandon kranti
..........जिंदगी.........
..........जिंदगी.........
Surya Barman
मुस्कुराती  बेटियों पे गिर रही है बिजलियाँ
मुस्कुराती बेटियों पे गिर रही है बिजलियाँ
Jyoti Shrivastava(ज्योटी श्रीवास्तव)
शासन व्यवस्था।
शासन व्यवस्था।
Sonit Parjapati
एक ग़ज़ल :- भूला है हमने
एक ग़ज़ल :- भूला है हमने
मनोज कर्ण
जिन्दगी ....
जिन्दगी ....
sushil sarna
न्याय ही बेच डालते
न्याय ही बेच डालते
Dr. Kishan Karigar
यही सोचकर आँखें मूँद लेता हूँ कि.. कोई थी अपनी जों मुझे अपना
यही सोचकर आँखें मूँद लेता हूँ कि.. कोई थी अपनी जों मुझे अपना
Ravi Betulwala
आंख हो बंद तो वो अपना है - संदीप ठाकुर
आंख हो बंद तो वो अपना है - संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
*कलमें इतिहास बनाती है*
*कलमें इतिहास बनाती है*
Shashank Mishra
अपनी पहचान का मकसद
अपनी पहचान का मकसद
Shweta Soni
हास्य कुंडलिया
हास्य कुंडलिया
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
हे छंद महालय के स्वामी, हम पर कृपा करो।
हे छंद महालय के स्वामी, हम पर कृपा करो।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
24/233. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
24/233. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
मां शैलपुत्री
मां शैलपुत्री
Mukesh Kumar Sonkar
789WIN
789WIN
789WIN
बदलता मौसम
बदलता मौसम
Ghanshyam Poddar
कपड़ों की तरहां मैं, दिलदार बदलता हूँ
कपड़ों की तरहां मैं, दिलदार बदलता हूँ
gurudeenverma198
मित्र दिवस पर आपको, सादर मेरा प्रणाम 🙏
मित्र दिवस पर आपको, सादर मेरा प्रणाम 🙏
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
जीवन का सार
जीवन का सार
MUSKAAN YADAV
मुलाकात
मुलाकात
sheema anmol
यूं न इतराया कर,ये तो बस ‘इत्तेफ़ाक’ है
यूं न इतराया कर,ये तो बस ‘इत्तेफ़ाक’ है
Keshav kishor Kumar
व्यथा
व्यथा
Laxmi Narayan Gupta
तू भी इसां कहलाएगा
तू भी इसां कहलाएगा
Dinesh Kumar Gangwar
कैसे हमसे प्यार करोगे
कैसे हमसे प्यार करोगे
KAVI BHOLE PRASAD NEMA CHANCHAL
!! आराम से राम तक !!
!! आराम से राम तक !!
Jeewan Singh 'जीवनसवारो'
"नग्नता, सुंदरता नहीं कुरूपता है ll
Rituraj shivem verma
Loading...