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30 May 2024 · 1 min read

जीवन का सार

जीवन का सार

बच्चे बड़े होकर भूले न परिवार को l
व्यर्थ समय है लड़ना ,
उसपर न विचार हो l
जीवन वही सुहाता है ,
जिसमे “मैं”नहीं बल्कि “हम” परिवार हो l

मन में खोट न हो ऐसी ,
जिससे विवाद हो जाए l
गलतफैमी के दलदल में ,
जीना दुशवार हो जाए l

मित्रों बात तो यही है ,
अपनों का साथ काफी हो जीने को
दूसरो की देख – रेख में
कही जीवन बर्बाद न हो जाए l

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