मृत्यु… (एक अटल सत्य )

मौत की आहट न सुनी होगी कभी,
क्योंकि दबे पांव वो आती है ।
चाहे छिप जाओ कोने में कहीं,
ढूंढकर संग वो ले जाती है ।।
गर न आये मौत तो बच जाते है,
गोलियों की बौछारों के बीच ।
गर आ जाये तो ,
संग ले जाए अपनों के अधबीच ।।
कोई तरसता है मौत के लिये,
किसी को बिन मांगे मिल जाए ।
सब अपने अपने कर्म का फल है,
कोई तड़पता है
कोई मुस्कुराता चला जाता है ।
मौत तो एक अटल सत्य है,
एक दिन सभी को चले जाना है ।
करो कोई नेक कार्य ,
कि दुनिया में नाम अमर हो जाए ।।
डां.अखिलेश बघेल
दतिया (म.प्र.)