कभी किसी ने मुझे

कभी किसी ने मुझे
मुझ में ढूंढने, मुझे तलाशने की
कोशिश ही नहीं की शायद
या फ़िर शायद बड़े एहतियात
से खुद को छिपा लिया है मैंने
लफ्जों को गूँथने का हुनर
कलम से कागज पर उतार तो लेता हूँ
फ़िर उन्हीं एहसासों को
जुबां पे लाने से क्यों घबराता है दिल
अब बयां कर ही दूँ
इस दर्द को अब ज़माने से
न जाने कितनी दफा मेरे जहन में
ये ख्याल आया है ..
हर मर्तबा कोशिश तो की मैंने
फ़िर ख़ामोशी ने मुझे ख़ामोश कराया है
हिमांशु Kulshrestha