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6 Mar 2022 · 1 min read

क़ैद

घुटन सी होने लगी है तेरी पनाहों में ,
यक़ीनन ये तुम्हारी पनाह नहीं ,
ये एक क़ैद दे दी है मुझे ,
अपनी खाबगाहोँ को रौशन करते हो
किसी और ‘शमा’ से ,
और मैं एक क़ैद में जलती हुई तुम्हारे इन्तिज़ार में |

द्वारा – नेहा ‘आज़ाद’

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