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11 Feb 2022 · 1 min read

मिट्टी राख़ बस काया है

क्या खोया क्या पाया है।
मिट्टी राख़ बस काया है।।

तेरा हो या मेरा जीवन ।
अंतर क्या कर पाया है ।।

डोर है कच्ची सांसों की ।
शेष क्या कुछ रह पाया है ।

खाली हाथ यहाँ से जाना ।
साथ क्या कुछ जा पाया है ।।

जीवन-मरण के चक्रव्यूह से ।
कौन बता यहाँ बच पाया है ।।

डाॅ फौज़िया नसीम शाद

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