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11 Jun 2024 · 1 min read

सच्चा दिल

सच्चा दिल

सच्चा दिल पत्थर का होता,कौन भला यह कह सकता है?
सच्चे दिल में प्रेम नहीं है,कौन भला यह सुन सकता है?

नहीँ किसी से कोई मतलब,क्या सच्चा दिल रखना चाहे?
जिसमें मधुरिम भाव भरा है,क्या वह दुख की सरिता चाहे?

सहयोगी प्रवृत्ति जिसकी है,क्या वह सबका हृदय दुखाये?
विनयशील निर्मल मन जिसका,क्या वह दूषित कृत्य सिखाये?

जिसमें सुन्दर शिष्ट भाव है,क्या वह गंदी राह दिखाये?
जिसके दिल में उत्तम बातेँ,क्या वह सबको गलत बताये?

साफ स्वच्छ भीतर बाहर से,मानव सच्चा पात्र सदा है।
पावन कृत्यों के संगम पर,सच्चा दिल इक मात्र खड़ा है।

साहित्यकार डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी।

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