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26 Jan 2022 · 1 min read

गांव

कई महीनों बाद हम अपने
गांव को आते हैं,
देखकर प्रकृति की सुंदर काया
हम विस्मित हो जाते हैं।।

सुबह उठें हम सूरज की
मखमली रोशनी को पाते हैं,
चिड़ियों का संगीत सुने और जैसे
फूल मधुर कविता गाते हैं ।।

घास पर पड़ी ओस की बूंदें
चांदी जैसे चमचमाती हैं ,
मंद हवा का चलना जैसे
कोई संगीत सुनाती हैं।।

सुबह–सुबह उठकर बच्चे
बागों में शोर मचाते हैं,
बस्ता टांगकर पीठ पर वो
विद्यालय पढ़ने जाते है ।।

काम खतम करके सब अपना
किस्से अपने सुनाते है,
गांव के बूढ़े बुजुर्ग सब मिलकर
अट्टहास लगाते हैं।।

शाम ढ़ले तो चाँद चले
तारों की बारात लिये,
बूंदें पुलकित करती हैं जब
हों बादल बरसात लिये ।।

© अभिषेक पाण्डेय अभि

49 Likes · 5 Comments · 362 Views
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